(गिरीश शर्मा) उदयपुर। घर में बच्चे बिलख रहे हैं- पापा, दो मिनट मिलना है। 10 दिन से आपको नहीं देखा। पत्नियां मन मसोस रही हैं कि बच्चे आपको याद करके रो पड़ते हैं, कैसे समझाएं इन्हें। दूर से ही सही, एक झलक देख तो लें। शहर में रहकर भी परिवार को फोन पर जवाब मिलता है - ऐसी ही भावनाओं में बहकर देश-दुनिया के लाखों लोग कोरोना वायरस संक्रमण की चेन नहीं तोड़ पा रहे हैं।
हम सब यहां खुद को संभाले हुए हैं, आप घर में अपना और सबका ध्यान रखिए। यह कहानी उदयपुर के उन 7 चिकित्सकों समेत 10 सदस्यों वाली मेडिकल रेपिड रिस्पोंस टीम की है, जो राजस्थान में कोरोना जोन बने भीलवाड़ा में 9 दिन की ड्यूटी देकर शनिवार रात ही लौटे हैं।
इस टीम ने भीलवाड़ा में कोरोना पॉजिटिव, संदिग्धों सहित इनके संपर्क में आने वाले 200 से ज्यादा लोगों की पर्सनल, ट्रैवल समेत हर तरह की हिस्ट्री जुटाई। काम का एक चरण पूरा होने पर जब ये अपने शहर उदयपुर लौटे तो गाइड लाइन के अनुसार इन्हें सज्जनगढ़ के पास एक रिसोर्ट में क्वारेंटाइन किया गया है। यहां इन्हें 14 दिन रहना है। फिर जांच के बाद तय होगा कि ये परिवार में लौट सकेंगे या नहीं।
नौ दिन बांगड़ अस्पताल के स्टाफ सहित 200 क्लोज कॉन्टैक्ट वालों की हिस्ट्री खंगाली, नहीं मिल रहा संक्रमण का केंद्र
आरएनटी के इन सात चिकित्सकों सहित 10 लोगों का स्टाफ गत 19 मार्च को भीलवाड़ा के ब्रजेश बांगड़ अस्पताल डॉक्टरों के कोरोना संदिग्ध पाए जाने के बाद हिस्ट्री पता करने पहुंचा था। दल के डॉ. मेघवाल बताते हैं कि टीम ने ब्रजेश बांगड़ अस्पताल के चिकित्सा स्टाफ सहित 200 से ज्यादा क्लोज कॉन्टैक्ट वाले लोगों की हिस्ट्री खंगाली। किसने कब, कहां चाय पी, नाश्ता, भोजन किया, किसने कराया, कौन कहां सोया, कौन कहां-कहां गया। इसके बाद भी यह हिस्ट्री नहीं मिली है कि कोरोना वायरस का यह संक्रमण आया कहां से।
क्वारेंटाइन में यह कर रहे : अच्छी डाइट, सुबह-शाम एक्सरसाइज, चेहरे पर न शिकन, न थकान
इस टीम में शामिल आरएनटी मेडिकल कॉलेज के शिशु एवं बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. बीएल मेघवाल, पीएसएम के डॉ. चंदन, मेडिसिन के डॉ. गौतम बुनकर, डॉ. महेश, डॉ. सत्यनारायण, डॉ. शिवकुमार, डॉ. राजकुमार, मेल नर्स शिखर,एंबुलेंस चालक भंवरलाल और प्रवीण सिंह पूरी तरह स्वस्थ हैं।
इस टीम के सभी सदस्यों ने रविवार को तीनों टाइम की पर्याप्त डाइट ली। रेस्ट करने के साथ फोन पर परिवार के अलावा बाहर के साथी चिकित्सकों से भी बातचीत की। डॉ. मेघवाल के मोबाइल पर बेटे नक्षत्र और बेटी तितिक्षा ने कहा- पापा आपसे एक बार सिर्फ दो मिनट के लिए मिलना चाहते हैं।
आपको 10 दिन से नहीं देखा। डॉ. मेघवाल ने जवाब दिया कि कि कोरोना वायरस एक स्वस्थ दिखने वाले संक्रमित व्यक्ति से दूसरे स्वस्थ्य व्यक्ति में तेजी से फैलता है। इसलिए इस जानलेवा वायरस की चेन को तोड़ने के लिए क्वारेंटाइन के नियम की पालना करना सबका जिम्मा है।
डॉ. महेश को उनकी पत्नी अभिलाषा बोल रही थीं कि बच्चे मिलने के लिए रो रहे हैं। डॉ. महेश समझा रहे थे कि मैं एक अच्छा पिता होने का कर्तव्य तभी अदा कर सकता हूं, जब यहां 14 दिन रहकर यह साबित कर सकूं कि मैं कोरोना ग्रसित बिल्कुल नहीं हूं।
सबसे मिलने के लिए बहुत मन कर रहा है, देश-दुनिया के लोग भावनाओं में बहकर ही इस जानलेवा वायरस के संक्रमण की चेन को नहीं तोड़ पा रहे हैं। बाद में दोनों की पत्नियां और बच्चे भी इनकी बात मान गए। हालांकि इन चिकित्सकों के चेहरे पर परिवार से नहीं मिलने की उदासी दिखाई दे रही थी। जबकि ये चिकित्सक कोरोना वायरस से बचने के लिए एहतियात के तौर पर हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन की दवा का डोज भी ले चुके हैं।